जमहूरियत

जमहूरियत  जमहूरियत इस राज़को इक मर्दे-फ़िरंगी ने किया फ़ाश हरचंद कि दानाइसे खोला नही‍ करते जमहूरियतइक तर्ज़े-हुकूमतहै कि जिसमें बन्दों को गिना करते है‍ तोला नहीं…

ادامه مطلب

दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है

दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है  दिल सोज़ से ख़ाली है निगह पाक नहीं है फिर इस में अजब क्या के तू…

ادامه مطلب

मुहब्बत का जुनूँ बाक़ी नहीं है

मुहब्बत का जुनूँ बाक़ी नहीं है  मोहब्बत क जुनूँ बाक़ी नहीं है मुसलमानों में ख़ून बाक़ी नहीं है सफ़ें कज, दिल परेशन, सज्दा बेज़ूक के…

ادامه مطلب

हर मुक़ाम से आगे मुक़ाम

हर मुक़ाम से आगे मुक़ाम है तेरा ख़िर्द के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं तेरा इलाज नज़र के सिवा कुछ और नहीं हर…

ادامه مطلب

एक आरज़ू

एक आरज़ू   दुनिया की महफ़िलों से उकता गया हूँ या-रब क्या लुत्फ़ अंजुमन का जब दिल ही बुझ गया हो शोरिश से भागता हूँ…

ادامه مطلب

ज़मिस्तानी हवा में गरचे थी शमशीर की तेज़ी

ज़मिस्तानी हवा में गरचे थी शमशीर की तेज़ी  ज़मिस्तानी हवा में गरचे थी शमशीर की तेज़ी न छूटे मुझ से लंदन में भी आदाब-ए-सहर-ख़ेज़ी कहीं…

ادامه مطلب

न तख़्त ओ ताज में ने लश्कर ओ सिपाह

न तख़्त ओ ताज में ने लश्कर ओ सिपाह  न तख़्त ओ ताज में ने लश्कर ओ सिपाह में है जो बात मर्द-ए-क़लंदर की बार-गाह…

ادامه مطلب

मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में

मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में  मेरी नवा-ए-शौक़ से शोर हरीम-ए-ज़ात में ग़ुलग़ुला-हा-ए-अल-अमाँ बुत-कदा-ए-सिफ़ात में हूर ओ फ़रिश्ता हैं असीर मेरे तख़य्युलात में मेरी निगाह…

ادامه مطلب

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं

सितारों से आगे जहाँ और भी हैं  सितारों के आगे जहाँ और भी हैं अभी इश्क़ के इम्तिहाँ और भी हैं तही ज़िन्दगी से नहीं ये फ़ज़ायें…

ادامه مطلب

क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ

क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ  क्या कहूँ अपने चमन से मैं जुदा क्योंकर हुआ  और असीरे-हल्क़ा-ए-दामे-हवा क्योंकर हुआ जाए हैरत है बुरा…

ادامه مطلب

ज़मीं-ओ-आसमाँ मुमकिन है

ज़मीं-ओ-आसमाँ मुमकिन है  मुमकिन है के तु जिसको समझता है बहाराँ औरों की निगाहों में वो मौसम हो ख़िज़ाँ का है सिल-सिला एहवाल का हर…

ادامه مطلب

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए

न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए  न तू ज़मीं के लिए है न आसमाँ के लिए जहाँ है तेरे लिए तू…

ادامه مطلب

मेरा वतन वही है

मेरा वतन वही है  चिश्ती ने जिस ज़मीं पे पैग़ामे हक़ सुनाया, नानक ने जिस चमन में बदहत का गीत गाया, तातारियों ने जिसको अपना…

ادامه مطلب

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा

सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा  सारे जहाँ से अच्छा, हिन्दोस्ताँ हमारा हम बुलबुलें हैं इसकी, यह गुलिस्ताँ हमारा  ग़ुरबत में हों अगर हम, रहता…

ادامه مطلب

कभी ऐ हक़ीक़त-ए- मुन्तज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में

कभी ऐ हक़ीक़त-ए- मुन्तज़र नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में  कभी ऐ हक़ीक़त-ए-मुन्तज़र! नज़र आ लिबास-ए-मजाज़ में के हज़ारों सज्दे तड़प रहे हैं तेरी जबीन-ए-नियाज़ में तरब आशना-ए-ख़रोश हो…

ادامه مطلب

जवाब-ए-शिकवा

जवाब-ए-शिकवा दिल से जो बात निकलती है असर रखती है । पर नहीं, ताकत-ए-परवाज़ मगर रखती है । क़दसी अलासल है, रफ़ात पे नज़र रखती…

ادامه مطلب

नया शिवाला

नया शिवाला  सच कह दूँ ऐ बिरहमन गर तू बुरा न माने तेरे सनमकदों के बुत हो गये पुराने अपनों से बैर रखना तू ने बुतों…

ادامه مطلب

मुझे आहो-फ़ुगाने-नीमशब का

मुझे आहो-फ़ुगाने-नीमशब का  मुझे आह-ओ-फ़ुग़ान-ए-नीम-शब का फिर पयाम आया थम ऐ रह-रौ के शायद फिर कोई मुश्किल मक़ाम आया ज़रा तक़दीर की गहराइयों में डूब…

ادامه مطلب

हम मश्रिक़ के मुसलमानों का दिल

हम मश्रिक़ के मुसलमानों का दिल  हम मशरिक़ के मुसलमानों का दिल मग़रिब में जा अटका है वहाँ कुंतर सब बिल्लोरी है, यहाँ एक पुराना…

ادامه مطلب

ख़िरदमंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है

ख़िरदमंदों से क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है  ख़िरदमन्दोंसे क्या पूछूँ कि मेरी इब्तिदा क्या है कि मैं इस फ़िक्र में रहता हूँ मेरी इंतिहा क्या…

ادامه مطلب

जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में

जिन्हें मैं ढूँढता था आसमानों में ज़मीनों में  जिन्हें मैं ढूँढता था आस्मानों में ज़मीनों में वो निकले मेरे ज़ुल्मतख़ाना-ए-दिल के मकीनोंमें अगर कुछ आशना होता मज़ाक़े-…

ادامه مطلب

न आते हमें इसमें तकरार क्या थी

न आते हमें इसमें तकरार क्या थी  न आते हमें इसमें तकरार क्या थी मगर वादा करते हुए आरक्या थी तुम्हारे पयामी ने ख़ुद राज़ खोला…

ادامه مطلب

मेरी निगाह में है मोजज़ात की दुनिया

मेरी निगाह में है मोजज़ात की दुनिया  मेरी निगाह में है मोजज़ातकी दुनिया मेरी निगाह में है हादिसातकी दुनिया तख़ैयुलात की दुनिया ग़रीब है लेकिन ग़रीबतर…

ادامه مطلب

साक़ी

साक़ी  नशा पिला के गिराना तो सबको आता है, मज़ा तो तब है कि गिरतों को थाम ले साक़ी। जो बादाकश थे पुराने वे उठते…

ادامه مطلب

ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं

ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं  ख़िरद के पास ख़बर के सिवा कुछ और नहीं तेरा इलाज नज़र के सिवा कुछ और नहीं…

ادامه مطلب

जब इश्क़ सताता है आदाबे-ख़ुदागाही

जब इश्क़ सताता है आदाबे-ख़ुदागाही  जब इश्क़ सिखाता है आदाब-ए-ख़ुद-आगाही खुलते हैं ग़ुलामों पर असरार-ए-शहंशाही ‘अत्तार’ हो ‘रूमी’ हो ‘राज़ी’ हो ‘ग़ज़ाली’ हो कुछ हाथ…

ادامه مطلب

नसीहत

नसीहत बच्चा-ए-शाहीं से कहता था उक़ाबे-साल -ख़ुर्द ऐ तिरे शहपर पे आसाँ रिफ़अते- चर्ख़े-बरीं है शबाबअपने लहू की आग मे‍ जलने का काम सख़्त-कोशीसे है…

ادامه مطلب

ये पयाम दे गई है मुझे

ये पयाम दे गई है मुझे  ये पयाम दे गई है मुझे बादे- सुबहशाही कि ख़ुदी के आरिफ़ों का है मक़ाम पादशाही तेरी ज़िंदगी इसी…

ادامه مطلب

है कलेजा फ़िग़ार होने को

है कलेजा फ़िग़ार होने को है कलेजा फ़िगार होने को दामने-लालाज़ार होने को इश्क़ वो चीज़ है कि जिसमें क़रार चाहिए बेक़रार होने को जुस्तजू-ए-क़फ़स…

ادامه مطلب